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नई दिल्ली: भारत की तरक्की की राह में महंगाई बहुत बड़ा खतरा बनती दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर महंगाई को कंट्रोल नहीं किया गया तो अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। डिप्टी गवर्नर माइकल डी पात्रा की अगुआई में आरबीआई के रिसर्चर्स ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक, त्योहारों के सीजन की मांग और कृषि क्षेत्र में सुधार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दूसरी तिमाही में आई सुस्ती से उबारने में मदद की है। लेकिन, महंगाई शहरों में लोगों की खरीदारी और कंपनियों की कमाई और निवेश को प्रभावित कर रही है। अगर इसे बेलगाम छोड़ दिया गया तो यह असली अर्थव्यवस्था, खासकर उद्योग और निर्यात की संभावनाओं को कमजोर कर सकती है।रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ग्रोथ के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता के अपने लक्ष्य के साथ अडिग है। वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के अपने मुख्य काम को भी ध्यान में रखा जा रहा है।
तेजी से बढ़ रही है खुदरा महंगाई
अक्टूबर में भारत की खुदरा महंगाई दर 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 6.21% पर पहुंच गई। यह सितंबर में 5.49% थी। इसके बाद ब्याज दरों में तत्काल कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चाहती हैं कि ब्याज दरें बहुत ज्यादा किफायती हों।
RBI के रिसर्चर्स ने बताया कि विकसित देशों में जहां ब्याज दरें घटाने की गुंजाइश है। वहीं, उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते नीतिगत प्रतिक्रियाओं में अंतर आ रहा है।
हालांकि, अर्थव्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट में मध्यम अवधि के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया गया है। यह मजबूत मैक्रो-आर्थिक आधार पर टिका है। रिपोर्ट में यह बात तब कही गई है जब भारतीय बाजारों से रिकॉर्ड डॉलर की निकासी ने रुपये को नए निचले स्तर पर धकेल दिया है और छह हफ्त्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 30 अरब डॉलर की कमी आई है।
खरीफ खाद्यान्नों और रबी की फसल के रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान से भविष्य में कृषि आय और ग्रामीण मांग में तेजी आने की उम्मीद है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में देखी गई सुस्ती अब पीछे छूट गई है क्योंकि निजी खपत फिर से घरेलू मांग बढ़ी है। तीसरी तिमाही में त्योहारों के खर्च से वास्तविक गतिविधियों में तेजी आई है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने टेंशन बढ़ाई
RBI ने यह स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं। रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू वित्तीय बाजारों में सुधार हो रहा है। अमेरिकी डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और लगातार पूंजी निकासी से शेयर बाजार दबाव में हैं। हालांकि, रुपये ने अपने एशियाई समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। अक्टूबर में केवल 0.3% की गिरावट के साथ सबसे कम अस्थिर रहा।
भारत में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान 42 अरब डॉलर का FDI प्रवाह आया। जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 33.5 अरब डॉलर का FDI आया था।
हालांकि, शेयर बाजार में गिरावट 2024 के सितंबर के अंत से 14 नवंबर तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से शेयरों में लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी का नतीजा थी। यह अब तक की सबसे बड़ी निकासी है। हालांकि, आरबीआई के शोधकर्ताओं ने बताया कि कुल बाजार पूंजीकरण के संबंध में एफपीआई की निकासी को देखते हुए निकासी का यह दौर पिछले मामलों की तुलना में अभी भी कम है।
तेजी से बढ़ रही है खुदरा महंगाई
अक्टूबर में भारत की खुदरा महंगाई दर 14 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 6.21% पर पहुंच गई। यह सितंबर में 5.49% थी। इसके बाद ब्याज दरों में तत्काल कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चाहती हैं कि ब्याज दरें बहुत ज्यादा किफायती हों।RBI के रिसर्चर्स ने बताया कि विकसित देशों में जहां ब्याज दरें घटाने की गुंजाइश है। वहीं, उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों को वैश्विक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते नीतिगत प्रतिक्रियाओं में अंतर आ रहा है।
हालांकि, अर्थव्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट में मध्यम अवधि के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया गया है। यह मजबूत मैक्रो-आर्थिक आधार पर टिका है। रिपोर्ट में यह बात तब कही गई है जब भारतीय बाजारों से रिकॉर्ड डॉलर की निकासी ने रुपये को नए निचले स्तर पर धकेल दिया है और छह हफ्त्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 30 अरब डॉलर की कमी आई है।
खरीफ खाद्यान्नों और रबी की फसल के रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान से भविष्य में कृषि आय और ग्रामीण मांग में तेजी आने की उम्मीद है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में देखी गई सुस्ती अब पीछे छूट गई है क्योंकि निजी खपत फिर से घरेलू मांग बढ़ी है। तीसरी तिमाही में त्योहारों के खर्च से वास्तविक गतिविधियों में तेजी आई है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने टेंशन बढ़ाई
RBI ने यह स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं। रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू वित्तीय बाजारों में सुधार हो रहा है। अमेरिकी डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है और लगातार पूंजी निकासी से शेयर बाजार दबाव में हैं। हालांकि, रुपये ने अपने एशियाई समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। अक्टूबर में केवल 0.3% की गिरावट के साथ सबसे कम अस्थिर रहा।भारत में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान 42 अरब डॉलर का FDI प्रवाह आया। जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 33.5 अरब डॉलर का FDI आया था।
हालांकि, शेयर बाजार में गिरावट 2024 के सितंबर के अंत से 14 नवंबर तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से शेयरों में लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी का नतीजा थी। यह अब तक की सबसे बड़ी निकासी है। हालांकि, आरबीआई के शोधकर्ताओं ने बताया कि कुल बाजार पूंजीकरण के संबंध में एफपीआई की निकासी को देखते हुए निकासी का यह दौर पिछले मामलों की तुलना में अभी भी कम है।
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